Thursday Mar 25, 2010

कला-साधना

हर हृदय में स्नेह की दो बूँद ढल जाएँ कला की साधना है इसलिए ! . गीत गाओ मोम में पाषाण बदलेगा, तप्त मरुथल में तरल रस ज्वार मचलेगा ! . गीत गाओ शांत झंझावात होगा, रात का साया सुनहरा प्रात होगा ! . गीत गाओ मृत्यु की सुनसान घाटी में नया जीवन-विहंगम चहचहाएगा ! मूक रोदन भी चकित हो ज्योत्स्ना-सा मुसकराएगा ! . हर हृदय में जगमगाए दीप महके मधु-सुरिभ चंदन कला की अर्चना है इसलिए ! . गीत गाओ स्वर्ग से सुंदर धरा होगी, दूर मानव से जरा होगी, देव होगा नर, व नारी अप्सरा होगी ! . गीत गाओ त्रस्त जीवन में सरस मधुमास आ जाए, डाल पर, हर फूल पर उल्लास छा जाए ! पुतलियों को स्वप्न की सौगात आए ! गीत गाओ विश्व-व्यापी तार पर झंकार कर ! प्रत्येक मानस डोल जाए प्यार के अनमोल स्वर पर ! . हर मनुज में बोध हो सौन्दर्य का जाग्रत कला की कामना है इसलिए ! 

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