Tuesday Mar 23, 2010
राग-संवेदन / २
राग-संवेदन / 2 . तुम — बजाओ साज़ दिल का, ज़िन्दगी का गीत मैं — गाऊँ! . उम्र यों ढलती रहे, उर में धड़कती साँस यह चलती रहे! दोनों हृदय में स्नेह की बाती लहर बलती रहे! जीवन्त प्राणों में परस्पर भावना - संवेदना पलती रहे! . तुम — सुनाओ इक कहानी प्यार की मोहक, सुन जिसे मैं — चैन से कुछ क्षण कि सो जाऊँ! दर्द सारा भूल कर मधु-स्वप्न में बेफ़िक्र खो जाऊँ! . तुम — बहाओ प्यार-जल की छलछलाती धार, चरणों पर तुम्हारे स्वर्ग - वैभव मैं — झुका लाऊँ! .
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